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नमस्ते आंटी

नमस्ते आंटी, मैं अमेरीका में प ढ़ता हूँ। और वहाँ और यहाँ में मुझे सबसे बड़ा फरक पता है क्या लगता है ? वहाँ मैं किन्नर लोगों को हमारे कौलेज में हमारे साथ पढ़ता हुआ देखता हूँ। वहाँ हमारे कुछ किन्नर अध्यापक भी हैं। मुझे यह फरक इसलिए एकदम दिखाई दिया क्योंकि मुझे बचपन में आप लोगों से बहुत डर लगता था। अभी भी थोड़ा लगता है। यह डर तब कम हुआ जब मैंने किन्नर लोगों को अपने जैसे ही हमारे साथ पढ़ते हुए देखा। यह विदेश और भारत में एक बहुत बड़ा फरक है। मैं चाहता हूँ की भारत में भी यह फरक आए। मैं चाहता हूँ कि आप लोग भी हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा बनें। भारत में भी यह बदलाव आ रहा है। और मैं चाहता हूँ कि आप भी इसका हिस्सा बनें। इस बदलाव की शुरूआत के कई उदाहरण है। एक बंबई में, जहाँ एक रैस्टोरेंट में केवल किन्नर लोग ही खाना बनाते हैं और परोसते हैं। और लोग वहाँ खुशी खुशी जा कर खाना खाते हैं। मैं आपसे चाहता हूँ कि आप किन्नर लोगों के भी जाकर यह बात बताएं जिससे हम भारत में भी यह बदलाव देख सकें। शुभ चिंतक

आज के सबक और बुद्धिमत्ता

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१.     पानी पियो। २.    झगड़े को सच, आदर और प्रेम से सुलझाओ। ३.    बाहर 20 मिनट टहलने जाओ। ४.   जीवन में सीधी रेखाएँ होना अति आवश्यक है। सिद्धांत और आदर्श की सीधी रेखाएँ रखो जो तुम्हें हदें पार करने से बचाए। ५.    आवश्यक चीज़ों को समय-बद्ध करो, पर हर पल में जीवंत रहो। ६.    पूरी नींद लो। ७.    हर दिन परिश्रम या व्यायाम करो। ८.    ध्यान करो। ९.    याद रखो किसी का जीवन त्रुटिहीन नहीं है। संपन्नता से अधिक आवश्यक है संतुष्टि। १०.    विनोद को मत भूलो।  ऊपर दिया हुआ अंक ९ इस चलचित्र से लिया गया है। पर मैं इस चलचित्र की सभी बातों सुनने का परामर्श नहीं दूँगा।

जाड़े की संभावनाएं

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हवाएं ले रही है ठंडक ,  थोड़ी शीतल वायु से , थोड़ा मेरे मन से। मौसम ले रहा है मस्ती ,  थोड़ी उन ठंडी हवाओं से , थोड़ा मेरे मन से। ऋतु में हैं संभावनाएं , थोड़ीं दिन के उजाले से , थोड़ीं चांदनी की शीत से। और थोड़ीं मेरे मन से। समा में है रंग ,  थोड़ा जीते और लड़ते पत्तों से , थोड़ा संभावनाओं से। मौसम में है जो मस्ती , थोड़ी जाड़े की पुकार से , थोड़ा किसी के आने की आहट से , और थोड़ी मेरे मन से। तन में है झनझनाहट , थोड़ी उन ठंडी हवाओं से , थोड़ा उनके आने की आहट से। यहां से   ली गई है  (http://www.magic4walls.com/wp-content/uploads/2015/10/man-look-girl-swing-under-winter-snowfall-minimalism-wallpaper.jpg) जाड़ा आंच लगाता है ,  थोड़ी मेरी मस्ती से ,  थोड़ा उनके घुंघरू से। कंबल आंच बचाता है , थोड़ी   उन ठंडी हवाओं से , थोड़ी गर्मी दिए। घुंघरू सुनाई देता है ,  थोड़ी उनकी आहट से , थोड़ा मेरी मस्ती से। आना उनकी मरज़ी है ,  थोड़ी मेरी पुकार से , थोड़ी मेरी किस्मत से। जाड़ा आता है , थोड़ी मस्ती से , थोड़ी ठंड लिए , थोड़ी आं

सामान्य होने के बचाव में

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(यह लेख " In Defense of Being Average "  का अनुवाद है। अपशब्दों के लिए क्षमा कीजीए, अनुवाद के से सत्यनिष्ठ रहने के लिए करना पड़ा। पर अंग्रेज़ी  में यह सब चलता है। :D ) एक बंदा है। जाना माना अरबपती। तकनीकी प्रतिभा वाला। आविष्कारक और उद्यमकर्ता। पुष्ट और प्रतिभाशाली और ऐसे कटे जबड़े के संग ऐसा रूपवान कि लगे ज़ूस ने औलम्पस से नाचे आकर साले को तराशा हो। इस बंदे के पास तेज़ चलने वाली गाड़ियों का एक जत्था है, कुछ आलीशान नौकाएँ है, और जब वह दान में लाखों डौलर नहीं दे रहा होता, तो वह अप्सरा सी प्रेमिकाएँ बदल रहा होता है, जैसे लोग अपने मोज़े बदलते हैं। इस बंदे कि मुस्कराहट पूरे कमरे को पिघला सकती है। इसकी मोहकता इतनी गाढ़ी है कि आप उसमें तौर सकते हैं। उसके आधे दोस्त टाईम के “वर्ष का श्रेष्ठ आदमी” रह चुके हैं। और जो नहीं थे वो चिंता नहीं करते क्योंकि अगर वह चाहें तो उस पत्रिका को ही खरीद सकते हैं। और जब यह बंदा हवाई विश्व यात्रा नहीं कर रहा होता है या विश्व को बचाने के लिए कोई नया तकनीकी आविष्कार नहीं कर रहा होता है, तो यह अपना समय निर्बल और असहाय और पददलितों की सहायता करने में

क्या तीसरे लिंग से तुम्हारा परिवार शर्मसार होता है?

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यह लेख " Does the Third Gender bring shame to your Family? " का अनुवाद है। यह तुम्हारा बच्चा है, तुम कैसे उसका बहिश्कार कर सकते हो ? या समाज को करने दे सकते हो ? क्या तुम समझा सकते हो कि कैसे इस बच्चे ने तुमहारे परिवार को शर्मसार किया है ? अगर तुम्हें लगता है कि किया है, तो यह भी मानो कि तुम इसकी वजह हो। मुझे बताओ तुमने क्या अलग किया एक तीसरे लिंग का बच्चा पैदा करने के लिए ? तुमने ऐसा क्यूँ किया ? तुम ज़िम्मेदार हो, बच्चा नहीं, उसने धरती पर आने के लिए कुछ नहीं किया, तुम उसे लेकर आए। ऐसी गलती तुम कर कैसे सकते हो ? अच्छा चलो, मैं तुम्हें एक मौका देती हूँ, जाके बदल दो इसे । कर सकते हो ? मुझे पता है तुम इसे बदल नहीं सकते। फिर अब ? क्या मैं तुम्हें दंड दूँ ? तो, मेरे पास एक सुझाव है – इसे स्वीकार करो , खुशी से. स्वीकार करके बद्दूआ मत दो क्योंकि वह स्वीकारना नहीं है, वह तुम्हारा कुछ ना कर पाने का असमर्थ है। कौन बदनामी लाता है शिल्प या शिल्पी ? या कोई नहीं ? यह हम हैं जो उसे बनाते हैं। अगर समाज तुम्हारी संतान को किसी मूलभूत अधिकार से वंचित रखता है

मेरे दोस्त और उनकी अंग्रेज़ी

मेरे दोस्त और उनकी अंग्रेज़ी (पढ़ने से पहले देखें - http://www.ted.com/talks/jamila_lyiscott_3_ways_to_speak_english ) मैं: यह तो हिन्दी के लिए भी लागू होता है क्योंकि ... बस ईसलिए कि कोई इनसान हिन्दी में बोलता है तो वह अनपढ़ है यह सोच लेना गलत है। उसने "सौरी" की जगह "मांफ करना" बोला.... अरे क्या गंवार है। क्या यह सच नहीं कि अगर राह चलते कोई पूछेगा, "है, वेयर इज़ द बिल्डिंग ए, इन दिस अपार्टमेंट?", तो तू तुरंत विनम्रता से उसे पूरा रासता बता देंगा। वहीं कोई आकर बोले, "भईया जी, ये इन घरों में विल्डिंग ए कोन सी हैगी", तो तू उसे दूर से इशारा करके आगे बढ़ जाएगा। किसी को अंग्रेज़ी बोलनी नहीं आती इसका मतलब यह नहीं की उसको तमीज़ नहीं है। जो तीन जादूई शब्द, "सौरी, थैंक्यू और प्लीज़", अंग्रेज़ी में हैं, वो हिन्दी में भी हैं, "खेद (मांफी), धन्यवाद और कृपया"। मेरे दोस्त: हाँ तू तो हिन्दी का प्रचार करने वाला कट्टरवादी है, तू तो बोलेगा ही। तुझ से तो यही उम्माद की जा सकती ही। और वैसे भी यह बात तो सच ही है कि अंग्रेज़ी बोलने वाले पढ़े

ऊबना भी ज़रूरी होता है।

ऊबना (बोर होना) भी ज़रूरी होता है। (नीचे लिखा लेख इस लेख का अनुवाद है।) “तुम्हें ऊबना चाहिए।” थौरिन क्लोसोकी से, हमने बार-बार सुना है कि ऊबना रचनात्मकता (क्रीयेटिविटी) के लिए आवश्यक है , और संगीतकार डैन डीकन इस बात को एन.पी.आर. के साक्षात्कार (इंटरव्यू) में इस यह कह कर रेखांकित कर देते हैं कि, “यू हैव टू बी बोर्ड।“ (तुम्हें ऊबना चाहिए) पूरा साक्षात्कार पढ़ने योग्य है, पर यह उक्ति (क्ओट) तब की है जब डीकन चिंता और तनाव के बारे में बोलते हैं: में वैसा ही इंसान था जो तनाव से प्रेरित होता था; मैं समय सीमा को प्रेरक की तरह इस्तेमाल करता था। मुझे लगता है कि बहुत सारे लोग यह करते हैं, जब वह ऐसा सोचते हैं कि, “मैं बस आखिरी समय तक इंतज़ार करूंगा, और उससे मुझमें काम करने की आग लग जाएगी और मैं काम कर दूंगा।“ और मैं बस यही सोचता रहा, “असल में, यह जीने का बहुत ही खराब तरीका है। क्यों मैं घर बना रहा हूँ और बस यह देखने के लिए उसके तहखाने (बेसमेंट) में आग लगा रहा हूँ कि क्या मैं पूरा घर जलने से पहले छत बना पाऊँगा?” मैंने यह महसूस करना शुरू किया कि आराम करना कितना ज़रूरी है, और आराम करने में, ऊ

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