क्या तीसरे लिंग से तुम्हारा परिवार शर्मसार होता है?
यह तुम्हारा बच्चा है, तुम कैसे उसका
बहिश्कार कर सकते हो? या समाज को करने दे सकते हो?
क्या तुम समझा सकते हो कि कैसे इस बच्चे ने तुमहारे परिवार को
शर्मसार किया है? अगर तुम्हें लगता है कि किया है, तो यह भी
मानो कि तुम इसकी वजह हो। मुझे बताओ तुमने क्या अलग किया एक तीसरे लिंग का बच्चा
पैदा करने के लिए? तुमने ऐसा क्यूँ किया? तुम ज़िम्मेदार हो, बच्चा नहीं, उसने धरती पर आने के लिए कुछ नहीं किया,
तुम उसे लेकर आए। ऐसी गलती तुम कर कैसे सकते हो? अच्छा चलो,
मैं तुम्हें एक मौका देती हूँ, जाके बदल दो इसे।
कर सकते हो?
मुझे पता है तुम इसे बदल नहीं सकते। फिर अब?
क्या मैं तुम्हें दंड दूँ? तो, मेरे पास एक
सुझाव है – इसे स्वीकार करो, खुशी से. स्वीकार करके बद्दूआ मत दो क्योंकि वह
स्वीकारना नहीं है, वह तुम्हारा कुछ ना कर पाने का असमर्थ है।
कौन बदनामी लाता है शिल्प या शिल्पी?
या कोई नहीं? यह हम हैं जो उसे बनाते हैं।
अगर समाज तुम्हारी संतान को किसी मूलभूत
अधिकार से वंचित रखता है जिससे तुम्हारे बच्चे को जीवित रहने के लिए कोई अस्वस्थ तरीका
अपनाना पड़े तो क्या तुम आपत्ति वयक्त नहीं करोगे?
हाँ तुम करोगे! क्योंकि यह तुम्हारी संतान के बारे मे है।
अगर मैं कहूँ कि ऊपर जिसका उल्लेख हो रहा था वह ‘बच्चा’
सर्वाधिक पाए जाने वाले दो लिंग में से किसी का नहीं है। क्या तुम
फिर भी यह करोगे? ऐसा लगता है अब जवाब नहीं है।

उसे अपनी संतान होने दो – वह करना उससे ज़्यादा कुछ नहीं है जो तुम अपनी दूसरी संतान के लिए करोगे जो पहले दो लिंग में से किसी एक के साथ जन्मी है। बस यह समझो, ना ही तुम्हारा, ना ही तुम्हारी संतान का इस पर कोई नियंत्रण है। फिर क्यों उसे इसके लिए दंड मिले? क्यों उन्हें अपना घर छोड़ना पड़े? क्यों उन्हें एक इज्जतदार जीविका का बराबर का मौका नहीं मिलना चाहिए?

उसे अपनी संतान होने दो – वह करना उससे ज़्यादा कुछ नहीं है जो तुम अपनी दूसरी संतान के लिए करोगे जो पहले दो लिंग में से किसी एक के साथ जन्मी है। बस यह समझो, ना ही तुम्हारा, ना ही तुम्हारी संतान का इस पर कोई नियंत्रण है। फिर क्यों उसे इसके लिए दंड मिले? क्यों उन्हें अपना घर छोड़ना पड़े? क्यों उन्हें एक इज्जतदार जीविका का बराबर का मौका नहीं मिलना चाहिए?
good work! :)
ReplyDeleteVery nicely put..I wish Indian families could digest this ..
ReplyDeleteआशा करता हूँ सभी लोग यह पढ़कर अपनी सोच बदलें। सिर्फ नज़रिए की बात है।
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