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Showing posts from 2015

मेरे दोस्त और उनकी अंग्रेज़ी

मेरे दोस्त और उनकी अंग्रेज़ी (पढ़ने से पहले देखें - http://www.ted.com/talks/jamila_lyiscott_3_ways_to_speak_english ) मैं: यह तो हिन्दी के लिए भी लागू होता है क्योंकि ... बस ईसलिए कि कोई इनसान हिन्दी में बोलता है तो वह अनपढ़ है यह सोच लेना गलत है। उसने "सौरी" की जगह "मांफ करना" बोला.... अरे क्या गंवार है। क्या यह सच नहीं कि अगर राह चलते कोई पूछेगा, "है, वेयर इज़ द बिल्डिंग ए, इन दिस अपार्टमेंट?", तो तू तुरंत विनम्रता से उसे पूरा रासता बता देंगा। वहीं कोई आकर बोले, "भईया जी, ये इन घरों में विल्डिंग ए कोन सी हैगी", तो तू उसे दूर से इशारा करके आगे बढ़ जाएगा। किसी को अंग्रेज़ी बोलनी नहीं आती इसका मतलब यह नहीं की उसको तमीज़ नहीं है। जो तीन जादूई शब्द, "सौरी, थैंक्यू और प्लीज़", अंग्रेज़ी में हैं, वो हिन्दी में भी हैं, "खेद (मांफी), धन्यवाद और कृपया"। मेरे दोस्त: हाँ तू तो हिन्दी का प्रचार करने वाला कट्टरवादी है, तू तो बोलेगा ही। तुझ से तो यही उम्माद की जा सकती ही। और वैसे भी यह बात तो सच ही है कि अंग्रेज़ी बोलने वाले पढ़े...

ऊबना भी ज़रूरी होता है।

ऊबना (बोर होना) भी ज़रूरी होता है। (नीचे लिखा लेख इस लेख का अनुवाद है।) “तुम्हें ऊबना चाहिए।” थौरिन क्लोसोकी से, हमने बार-बार सुना है कि ऊबना रचनात्मकता (क्रीयेटिविटी) के लिए आवश्यक है , और संगीतकार डैन डीकन इस बात को एन.पी.आर. के साक्षात्कार (इंटरव्यू) में इस यह कह कर रेखांकित कर देते हैं कि, “यू हैव टू बी बोर्ड।“ (तुम्हें ऊबना चाहिए) पूरा साक्षात्कार पढ़ने योग्य है, पर यह उक्ति (क्ओट) तब की है जब डीकन चिंता और तनाव के बारे में बोलते हैं: में वैसा ही इंसान था जो तनाव से प्रेरित होता था; मैं समय सीमा को प्रेरक की तरह इस्तेमाल करता था। मुझे लगता है कि बहुत सारे लोग यह करते हैं, जब वह ऐसा सोचते हैं कि, “मैं बस आखिरी समय तक इंतज़ार करूंगा, और उससे मुझमें काम करने की आग लग जाएगी और मैं काम कर दूंगा।“ और मैं बस यही सोचता रहा, “असल में, यह जीने का बहुत ही खराब तरीका है। क्यों मैं घर बना रहा हूँ और बस यह देखने के लिए उसके तहखाने (बेसमेंट) में आग लगा रहा हूँ कि क्या मैं पूरा घर जलने से पहले छत बना पाऊँगा?” मैंने यह महसूस करना शुरू किया कि आराम करना कितना ज़रूरी है, और आराम करने में, ऊ...

जिस काम से तुम्हें प्यार है, वो करो

जिस काम से तुम्हें प्यार है, वो करो ... सबसे पहले लोग यही बोलते हैं कि, हमें पता नहीं हमें किस काम से प्यार है। मुझे सुन कर थोड़ा दुख होता है, पर फिर मैं अपने आप को देखता हूँ, मुझे भी तो नहीं पता मुझे किससे प्यार है। ऐलबर्ट आइंस्टाईन ने अपने पुत्र को लिखी एक चिट्टी में बोला था कि, सर्वाधिक सीखने के लिए वह काम करो जो करते हुए तुम्हें समय बीत जाने का एहसास ना हो। मैं इसके बारे में सोचता हूँ, तो पाता हूँ कि कंप्यूटर प्रोग्रैम बनाते हुए कितना समय बीत जाता है मुझे पता नहीं लगता। पर और थोड़ा ध्यान से सोचने पर समझ आता है कि किसी भी समस्या का हल ढूंढने में मैं मग्न हो जाता हूँ और मुझे समय का आभास नहीं रहता। तो यह ज़रूरी नहीं कि आपको एकदम समझ आ जाए कि आप को किस काम से प्यार है। इसमें समय लग सकता है। और हो सकता है कि आपकी पहली सोच सटीक ना हो। उसमें संशोधन हो सकते हैं। इसलिए धीरज रखिए। और जब आप इतने महत्वपूर्ण विषय पर सोच ही रहे हैं तो ऐलेन दे बोत्तोन की इस बात पर भी ध्यान रखें कि हमें लगता है कि हम जानते हैं कि सफलता क्या है। पर बहुत बार हमारे विचार उधार के होते हैं। हम टीवी, दोस्त और माता-पिता...

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